सूर्य की उपासना का पर्व है छठ
प्रकृति की आराधना का पर्व है छठ
कठोर तप , तन और मन की शुचिता
सबसे प्रेम और भाव की शुद्धता
लोक आस्था का महान उत्कर्ष
श्रद्धा और भावना का पर्व है छठ
उगते, डूबते दोनों को नमन करें
मातृ शक्ति को कृतज्ञता अर्पण करें
राजा और रंक अंतर नहीं कोई
ईश्वर की साधना का पर्व है छठ
बूढ़े और जवान सभी में उत्साह
परिवार जनों से मिलने की चाह
सूप, दौरा, अर्घ्य , ठेकुआं की खुश्बू
पूर्ण मनोकामना का पर्व है छठ
नीरज कुमार नीर / 3 .11 .2016
आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की १५०० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ...
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है - १५०० वीं ब्लॉग-बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सुन्दर ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ... इस पर्व को बाखूबी लिखा है आपने ... सभी को छट पर्व की हार्दिक बधाई ...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
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