Wednesday 20 February 2013

सूखे फूल



सूखे फूलों को कोई उठाने नहीं आता कब से
मैं रूठा हूँ, कोई मनाने नहीं आता कब से

बहार, रंग , नूर, सब फ़ना हो गए
मैं तन्हा बाग में बैठा रहा कब से .

दिल की आरजू की भी उमर होती होगी
मेरे दिल में कोई आरजू नहीं अब, कब से .

अब फूल खिलें भी तो क्या नीरज
फूलों की कोई  चाह्त नहीं रही कब से .


 ....... नीरज कुमार 'नीर' 

27 comments:

  1. bahoot khoob janab :)

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत शुक्रिया आपका..

      Delete
  2. Waah! Bahoot sundar, Neeraj-jee...Man ko choon gayi yeh rachna

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत शुक्रिया अनिमेष जी. ब्लॉग पर आने का बहुत धन्यवाद.

      Delete
  3. बहुत शुक्रिया अमृता तन्मय जी.

    ReplyDelete
  4. फूलों से नफ़रत करे, करते शूल पसंद ।

    लेखक हैं नवगीत के, कवि रचते ना छंद ।

    कवि रचते ना छंद, मग्न मतिमंद रहा हैं ।

    *भा बहार नहिं रंग, बाग़ में कवि तन्हा हैं ।

    सूख सरोवर नीर, मनुज कटता मूलों से ।

    नीति-नियम कुल भूल, करे नफ़रत फूलों से ॥

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर वहा वहा क्या बात है अद्भुत, सार्थक प्रस्तुति
    मेरी नई रचना
    खुशबू
    प्रेमविरह

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार दिनेश पारीक जी.

      Delete
  6. kavineeraj.blogspot.in21 February 2013 07:16

    आप जैसे लोगों की वजह से हिंदी काव्य जिन्दा रहेगा, वरना आजकल के अधिकांश कवि कविता के नाम पर क्या लिखते हैं, पता नहीं, ना रस, ना रंग, ना लय, ना गठन. आपको बहुत बहुत साधुवाद.

    आप ने मेरी पोस्ट पर यह टिप्पणी की-
    मैंने आपकी पोस्ट पर यह टिप्पणी की-


    फूलों से नफ़रत करे, करते शूल पसंद ।
    लेखक हैं नवगीत के, कवि रचते ना छंद ।

    कवि रचते ना छंद, मग्न मतिमंद रहा हैं ।
    *भा बहार नहिं रंग, बाग़ में कवि तन्हा हैं ।
    प्रभा
    सूख सरोवर नीर, मनुज कटता मूलों से ।
    नीति-नियम कुल भूल, करे नफ़रत फूलों से ॥
    पर आपने इसे प्रकाशित नहीं किया-
    लिंक लिक्खाड़ अच्छी रचनाओं पर की गई मेरी काव्यात्मक टिप्पणियों का ब्लॉग है
    ४००० कुंडलियों में से ही यह कुंडली भी त्वरित प्रतिक्रिया है-
    आशा है प्रकाशित करेंगे यह टिप्पणी-

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीय रविकर जी, बहुत बहुत आभार आपका.
      मै इस वाक्य का आशय नहीं समझ पाया "पर आपने इसे प्रकाशित नहीं किया."

      Delete
  7. सुन्दर रचना नीरज जी,
    आभार मेरे ब्लॉग पर आने के लिए वैसे
    कविवर रविकर जी की टिप्पणी अच्छी लगी !

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया सुमन जी.

      Delete
  8. रविकर जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया.

    ReplyDelete
  9. नीरज जी जय श्री राधे ...सुन्दर रचना उद्वेग अलग अलग रंग तो दिखाते ही हैं ....तमन्ना और आरजू रखना सम्हालना अच्छा होता है ...उम्र बनी रहे इसकी ...भ्रमर का दर्द और दर्पण में आप का स्वागत है
    भ्रमर 5

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत स्वागत आपका काव्य सुधा में और बहुत बहुत आभार.

      Delete
  10. सूखे फूलों को कोई उठाने नहीं आता कब से
    मैं रूठा हूँ, कोई मनाने नहीं आता कब से.....bahut galat bat .....manana to chahiye .....bahut bhawpurn rachna .....thanks ...

    ReplyDelete
  11. निशा जी बहुत बहुत आभार..

    ReplyDelete
  12. बेहद उत्तम प्रस्तुति | भावपूर्ण रचना | बधाई

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    ReplyDelete
    Replies
    1. तुषार जी बहुत बहुत बहुत शुक्रिया..

      Delete
  13. दिल की आरजू की भी उमर होती होगी
    मेरे दिल में कोई आरजू नहीं अब, कब से .
    सच कहा है ... धीरे धीरे मर जाती हैं सभी आरजुएं ... उनकी उम्र बस प्यार से बडती है ....

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत शुक्रिया आपका.

      Delete
  14. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति बंधू | बधाई

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    ReplyDelete
  15. दिल जब टूटता है तो सूखे पत्तों सा झरता है ..
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति..

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया कविता जी.

      Delete
  16. बहुत शुक्रिया तुषार जी.

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...