प्रस्तुत कविता मैने
अपनी बेटी के लिए लिखी है, जो क्लास २ में पढ़ती है, उसे स्कूल में हिंदी कविता पाठ
के लिए कविता चाहिए थी, उसने मुझसे कहा कि कविता पाठ के लिए मैं उसे कोई अच्छी सी
कविता ढूंढ कर दूँ . मैने उससे कहा कि क्या मैं लिख दूँ , उसने कहा नहीं मुझे तो
ढूंढ कर ही दीजिए. मैने पूछा क्यों मैं लिख दूँ तो क्या हर्ज है? उसने कहा आप तो
सीरिअस टाइप की कविता लिखते है, मुझे तो फन्नी कविता चाहिए. मैने उसे समझाया कि
मैं फन्नी भी लिख सकता हूँ , जिसपर वह राजी हो गयी. मैने उसके लिए यह कविता लिखी
जो उसे बहुत बहुत पसंद आयी, उम्मीद है आपको भी पसंद आएगी .
सुबह सुबह हाथी भाई
,
मेरे घर पर आये ,
सूढ़ उठाकर, पूँछ हिलाकर,
दो-दो दांत दिखाए.
क्या चाहिए हाथी भाई,
खुलकर मुझे बताओ,
क्या हैं आपके हाल
चाल,
मुझे भी जरा सुनाओ.
भूखा हूँ आज सुबह से,
हाथी ने फ़रमाया,
ब्रश तो कर लिया है,
कुछ नहीं पर खाया .
जाओ जल्दी से जाकर
खाने को कुछ लाओ,
हाथी भाई आये हैं,
मम्मी को बतलाओ.
मम्मी ने पूछा हाथी
से
खाने में क्या लोगे,
यहीं खड़े खाओगे या
कुर्सी पर बैठोगे.
खाने में मैं लेता
हूँ
नब्बे दर्जन केले
चार टब दूध पीता हूँ
खड़े खड़े अकेले .
सुनकर हाथी की बातें
मम्मी का सर चकराया
सुबह सुबह हाथी का
बच्चा
मेरे घर क्यों आया .
देखकर मम्मी की
हैरानी
हाथी ने हल सुझाया ,
लेकर आओ नोट दस के
बोला और मुस्काया .
लेकर नोट दस का फिर
हाथी ने सूढ़ उठाया
खुश रहने का आशीष
दिया
फिर आगे कदम बढ़ाया .
.......... नीरज
कुमार ‘नीर’
#neeraj_kumar_neer
#neeraj_kumar_neer
बिटिया को पसंद आ गई तो हमें भी पसंद है :)
ReplyDeleteशुभकामनायें बिटिया को जो पापा को इस तरह फन्नी कविता लिखने को मजबूर कर दिया !
बहुत अच्छे से लिखा है आपने. मेरी नज़र में बच्चों के लिए लिखना सबसे मुश्किल काम है. बिटिया को ढेर सारा प्यार. वो ऐसे ही पापा को मजबूर करते रहे और हम लोग आपके अन्दर के बालकवि से रू-ब-रू होते रहें.
ReplyDeleteवाकई प्यारी कविता ...
ReplyDeleteवाह !!! बेहद लाजबाब सुंदर बाल गीत ,नीरज जी मुझे तो ये गीत पसंद आया,,,आभार
ReplyDeleteRecent Post : अमन के लिए.
बहुत सुब्दर बाल रचना ... जरूर बच्चों के मन को गुदगुदाएगी ...
ReplyDeleteare waaaaaaaaaaah waaaaaaaaaaaaah....bhetrin hai.......sirf bal kvita nhi hai.....muje bhi psand aai...shukhriya
ReplyDeletebahut pyari aur maasoom si kavita ..iske liye tumne bhi apne andar ke baalak ko mehsoos kiya hoga ..kitna sukh anubhav hua hoga us pal ..badhai aisi sundar rachna ke liye :-)
ReplyDeleteदेवी कूष्मांडा के लिये वधाई ! अच्छी बाल-रचना है !
ReplyDeleteबच्चे जीवन के मरुथल में हरी भरी फुलवारी हैं |
इन के भोलेपण पर हम सब वारी हैं बलिहारी हैं ||
बालमन की सुंदर कविता
ReplyDeleteबाल कविता लिखना सहज नहीं है
बधाई आपको
सुंदर रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
http://jyoti-khare.blogspot.in
सुन्दर बाल कविता नीरज जी ..मजा आ गया
ReplyDeleteयहीं खड़े खाओगे ...या कुर्सी पर बैठोगे
खाने में मै लेता हूँ नब्बे दर्जन केले .....सुन्दर
भ्रमर ५
बहुत ही अच्छी कविता है ..शुभकामनाये..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर बाल कविता :-)
ReplyDeleteबेहतरीन बाल कविता, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
achchi to hai per lambi jyada ho gayi!
ReplyDeleteकाव्य पाठ बहुत बारीक है। स्पेन के प्रतिअपनी शुभकामनाएं भेजते हैं।
ReplyDeletep.s की ख्रमा तफसील से लिखा, मैं शब् दकोश